Page 108 - Musings 2020
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ह यों , घबराता तू कल , से
ऐ रे साथी , सुन रे , जा ठहर , पहर एक या दो पल , सही
है , व त उनका उड़ने का , अब
है , व त उनका नींव िबछाने का , अब
ह , लगा घुमते ये नक़ाब , िसफ
ह , िहलाते हाथ दिरया पार से , िसफ
ह डरते , िक ना जा पाएंगे दुबारा
ह डरते , िक ना चूका पाएंगे , एहसान - इ - परविरश
ह डरते , िक ना चल पाएंगे , सहारे बग़ैर
की , गर आ गए वापस , अभी
की , गर छोड़ िदया रण , अभी
िक , गर गया उतर ये नक़ाब , अभी
ह हम , वजह वजूद की , उनकी
ह हम , वजह बुलंिदयों की , उनकी
ऐ रे साथी , रख भरोसा , रे
ह साथ तेरे , के इस पार और उस पार , सभी
ऐ रे साथी , सुन रे , चल उड़ चल , अब हम
चल जीं ल वाब अधूरे , अपने
ना है , व त ये पसमंदगी का , है व त ये अब जीने का
ऐ रे साथी , सुन रे , ज़रा ठहर , पहर एक या दो पल , सही
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