Page 112 - Musings 2020
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म सो जर, म और मेरा दो त
Kartik Patil 2016B3A40571P
म सो जर, म और मेरा दो त
इस देष िक सीमाओं पे खड़े इस देष िक र ा करते ह
हाॅं छु टी िमल जाती ह कभी कभी
घर लौट आते ह
पर ये खत उस व त के िलए है जब म चाह के भी लौट ना सक ूं
अगर मेरे चले जाने से तु हारे िदल म जरा सी आह उठे तो
मेरी माॅं है, उसका जरा खयाल रखना
बहुत यारी है, िदन भर घर पर रहती है
पर जब वो अके ले बाजार जाये तो उसका बोझ उठा लेना
अगर क ु छ व त तु हे देखती रही वो
तो परेषान ना होना, हो सकता है तुमने उसको मेरी याद िदला दी
अगर मेरे चले जाने से तु हारे िदल म जरा सी आह उठे तो
मेरे पापा ह , उनका खयाल रखना
बाहर से बहुत स त ह पर िदल से बहुत नरम
यूं तो सब मैनेज कर लेते ह पर अ सर पािक ग के िलए शमा जी से लड़ लेते ह
ऐसा करते तु हे िदखे वो तो यार से उनको समझा लेना
अगर भड़क जाये तुम पे वो तो परेषान ना होना
हो सकता है तुमने उनको मेरी याद िदला दी
अगर मेरे चले जाने से तु हारे िदल म जरा सी आह उठे तो
मेरा छोटा भाई है उसका जरा खयाल रखना
यूं तो सब क ु छ है उसके पास पर िदल का बहुत कमजोर है
अगर अके ला उदास चुपचाप खड़ा िदखे वो तो
यार से गले लगा के दो-चार मीठी बाते कर लेना
अगर उसके आंसुओं से तु हारी कमीज भीग जाये
तो परेषान ना होना, हो सकता है तुमने उसको मरी याद िदला दी
अगर मेरे चले जाने से तु हारे िदल म जरा सी आह उठे तो
मेरा एक पिरवार है, जरा उसका खयाल रखना, जरा उसका खयाल रखना।
जय िह द!
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