Page 111 - Musings 2020
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थोड़ा,   सहम   जाता   हॅूं   म

                                         Sachin   Kumar   Sharma   2017H1120232P

                                              करना   हो   तेरे   साथ   चंद   पल   ए   दीदार
                                               खुष   रखु   तुझे   जब   भी   रहु   तेरे   साथ
                                                हर   पल   रहू   तेरे   साथ   ये   कहने   म ,
                                                  ‘‘थोड़ा,   सहम   जाता   हॅूं   म ‘‘

                                             क ु छ   परेषानी   हो   तु हे   याद   ए   िखदमत   हो
                                             क ु छ   तंगी   हो,   क ु छ   बेचैिनयों   िक   इ म   हो
                                           तेरा   साथ   दूं   उस   मुि कल   व त   म ,   ये   कहने   म
                                                  ‘‘थोड़ा,   सहम   जाता   हॅूं   म ‘‘

                                          कभी   रा ते   ए   मंिजल   दूर   लगे,   होसले   प त   लगे,
                                      जब   कोई   तु हे   अपना   ना   लगे,   सब   गैर   ए   िनसा   महषूस   हो
                                          तु हे   ये   बताने   के    िलए   िक   तुम   कभी   अके ली   नही
                                                  ‘‘थोड़ा,   सहम   जाता   हॅूं   म ‘‘

                                             चुपके    से   तु हारे   चेहरे   का   दीदार   करना,
                                            तुम   देखो   तो,   बड़ी   सफाई   से   नजर    हटाना
                                     हर   िज दगी   िसफ      और   िसफ      तुझे   िदलमगर   क ,   ये   बताने   म
                                                  ‘‘थोड़ा,   सहम   जाता   हॅूं   म ‘‘

                                           जब   भी   आइने   म    देेखु,   उसम    तुम   मेरे   साथ   हो
                                           किठन   पिरि थितयों   म    तु हारे   आगे   खड़ा   रहूं
                                            पूरी   िज दगी   तु हे   समझा   क    ये   बताने   मे
                                                  ‘‘थोड़ा,   सहम   जाता   हॅूं   म ‘‘

                                          तुम   खुष   होती   हो,   तो   बेचारा   िदल   िखल   उठा   है
                                        तुम   दुःखी   होती   हो,   तो   तड़प   के    सीना   चीर   पड़ता   है
                                             तु हे   िज दगीभर   खुष   रखुंगा   अपने   साथ
                                              ये   बताने   म    ‘‘थोड़ा,   सहम   जाता   हॅूं   म ‘‘






























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